Wednesday, May 16, 2012

एक दीप की प्रार्थना



हे इश्वर!
धन्यवाद.... मुझे इसे धरती पर भेजने के लिए
मुझे  नहीं पता की मैं "मैं" कैसे बना... मैं यहाँ कैसे पहुंचा... क्या आपने मुझे यहाँ भेजा या यह मेरा अनुरोध था?
पर चूँकि मैं जन्म ले चुंका हूँ, धरती पर इस जीवन के साथ-साथ, मृत्यु का भी हिस्सा बन  चुंका हूँ |
इश्वरमेरी आपसे एक प्रार्थना है....

जीवन का निर्णय आपका, परन्तु जीने का निर्णय मेरा,
मृत्यु का क्षण आपका, परन्तु जिसके भी क्षणों में मैं मरणोपरांत रहूँवह मेरा  |
भाग्य के दाता आप, परन्तु भविष्य का निर्माता मैं,
प्रशनों के त्राता आप, परन्तु किसी उत्तर का ज्ञाता मैं |

मंजिल हो एक तो शंका अनेकपर अब मंजिलें भी तो हैं अनेक,
साहस से मैं आगे बढूँ, अपनी ही शंकाओं से जूझ कर |
छोटे हैं पल सपने बड़े, हर मोड़ पर जैसे कांटे गढ़े,
कर्तव्य से मोह जोड़ कर, मैं बैठूं ना मूह मोड़ कर |

जलते सभी, चलते सभी, पर क्यूँ फंसे व्यर्थता के इस जाल में,
मैं चलूँऐसे जलूं, जैसे कि इक दीप
जलता चलूँ, चलता चलूँ, और रोशन जहाँ करता चलूँ |

Image Credit: http://www.flickr.com/photos/30341950@N00/

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